हर हर महादेव
आयें बाबा रामदेव
केसरिया रंग बांधे
केश धारी तन साधे
अनुलोम विलोम काजे
असंतुलित नयन बाजे
सांसों से करते दंगल
शनि हो या या हो मंगल
योग से हरते हर रोग
एड्स सिद्ध प्राणायम प्रयोग
बाबा रामदेव दूरदर्शी
आसन मांगे अब कुर्सी
अन्ना थे बिना अन्न
प्रजातन्त्र का न्यू फैशन
रामलीला में खुली दूकान
धुनी शर्तों की अंधी जुबान
भ्रष्टाचार का बेचा अचार
सबने चखा और लिया चटकार
पर जब पड़ी लाठी की भनक
माथा गया और ठनक
कौन अब भूखे पेट लात खाए
प्रिय भक्तजनों आप आगे आयें
बस चंद दिनों के ब्रेकिंग न्यूज़
जब तक इनकी सच्चाई महफूज़
प्रजातंत्र नहीं एक भूख की गुलाम
जहां अरबों के पेट में भूखी हर शाम
- ख़ुफ़िया कातिल का बाबा रामदेव के प्रति स्नेहपूर्ण आक्रोश
......hopefully this poem would open the eyes of the millions and millions of his blind followers and may be him too!
ReplyDeletewaah waah waah waah, kamaal ka likha hai, and the best thing i love is असंतुलित नयन बाजे, commendable somesh
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