बुनता एक जाल हूँ
सवालों का मलाल हूँ
अँधा गुलाल हूँ
घायल एक खाल हूँ
कतरों से जोड़ता ख्वाब हूँ
मूंदी आँखों से देता जवाब हूँ
डूबता सैलाब हूँ
हर रोज़ बर्बाद हूँ
तसल्लियों का शिकार हूँ
खुद की ख़ुशी का करार हूँ
अपनी दफ़न का दरार हूँ
गिने गुनाहों का फरार हूँ
गीदड़ संत हूँ
अंत का दुरंत हूँ
एक स्तम्भ अनंत हूँ
तेर न्याय से परन्त हूँ
अनिर्वाहित भाव हूँ
लुप्त पड़ाव हूँ
थोपे चाशनी का घाँव हूँ
कर्ण कर्कश काँव हूँ
पर्दों में लिप्त कोष हूँ
श्वेत दोष हूँ
धुंध लेप में होश हूँ
सर्द भस्म का आक्रोश हूँ
मैं क्या हूँ
एक नाम हूँ
काली शाम हूँ
ध्वस्त मुकाम हूँ
इसी में तमाम हूँ
No comments:
Post a Comment